"इतिहास वह नहीं-जो लिखा गया,
बल्कि वह भी है जो स्मृति में जीवित है।"
जब स्मृति को शब्द मिलते हैं, तब वह पीढ़ियों की मशाल बन जाती है।"
लखनऊ लोधी समाज का संगठित स्वरूप कोई आज की रचना नहीं, इसका बीजारोपण 1960 के दशक में हो चुका था। लगभग 1970 के दशक में जब समाज को दिशा देने की आवश्यकता महसूस हुई, तब कुछ दूरदर्शी और प्रतिबद्ध व्यक्तियों ने "नगर लोधी क्षत्रिय राजपूत महासभा लखनऊ" की नींव रखी। महासभा के पहले अध्यक्ष एडवोकेट भाईलाल लोधी जी (अहिवरन पुर) और मंत्री एडवोकेट सुंदरलाल लोधी जी (पुरनिया) थे। इन लोगों ने लखनऊ में सामाजिक एकता की ओर मिसाल पेश की।
इन अग्रदूतों के बाद समाज की बागडोर एडवोकेट चंदिका प्रसाद लोधी एडवोकेट (पूर्व सभासद, नाका हिंडोला) और एडवोकेट शंकर लाल लोधी (लालाबाग काकोरी) जैसे व्यक्तित्वों के हाथों में आई। इनका कार्यकाल सामाजिक और राजनीतिक एकता का प्रतीक बना।
सन् 1996 में जब मैं वकालत के पेशे में आया, तब मुझे एडवोकेट शंकर लाल लोधी जी का सानिध्य प्राप्त हुआ, और वहीं से मेरा सामाजिक जीवन सक्रिय रूप में शुरू हुआ।
इसी दौरान मेरी मुलाकात सामाजिक बैठकों में सक्रिय व ठेकेदारी पेशे से जुड़े हुए आदरणीय श्रीकृष्ण लोधी जी (रानीगंज) से हुई। संगठन की बैठकों में मेरी लगातार भागीदारी से हमारे बीच आत्मीय संबंध बने।
उस समय महासभा के अध्यक्ष एडवोकेट चंदिका प्रसाद लोधी जी और महामंत्री एडवोकेट शंकर लाल लोधी जी थे।
वर्ष 2001 में नेतृत्व की बागडोर आदरणीय श्रीकृष्ण लोधी जी को सौंपी गई। और महामंत्री के रूप में एडवोकेट नीमानंदन लोधी जी ने संगठन की कमान संभाली। महासभा का यह कार्यकाल - (2001–2017) तक लखनऊ लोधी समाज के लिए एक स्वर्णिम काल जैसा रहा।
इन्होंने अपने साथियों में चंद्रिका प्रसाद लोधी एडवोकेट, शंकरलाल लोधी एडवोकेट, रामशंकर राजपूत बादशाह खेड़ा, किशन कुमार एडवोकेट दुगांवा, श्री राम वर्मा आजाद नगर, सत्ती राम लोधी ठाकुरगंज, ओम प्रकाश मामा नर्सरी वाले, भारत सिंह राजपूत (पार्षद), भरत प्रसाद लोधी फत्तेपुर अलीगंज, एस.पी. सिंह लकी चिल्ड्रन स्कूल उस्मानपुर, सुनील लोधी जलालपुर, बाबूलाल लोधी एडवोकेट बहादुर खेड़ा, दयाराम लोधी (रिटायर्ड) रामप्रसाद वर्मा मड़ियांव बहादुर खेड़ा, वीरेंद्र लोधी, व सुखनंदन लोधी, लक्ष्मण सिंह जी पुरसैनी मोहनलालगंज ने मिलकर एक ऐसा संगठनात्मक तंत्र खड़ा किया जो हर क्षेत्र, हर वार्ड तक सामाजिक चेतना को पहुँचाने में सफल हुआ।
इस सामाजिक सक्रियता की भूमि पर जो नाम उभरे, वह केवल एक पदाधिकारी नहीं थे—बल्कि वह इस संगठन की आत्मा थे।
लखनऊ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों ऐसे नाम हैं जिन्होंने तन- मन- धन से समाज के लिए काम किया। संगठन के कुछ प्रमुख नामों का उल्लेख यहां किया गया है, यह नाम उनकी अनमोल सेवाओं की झलक मात्र है।
इन नामों में से कुछ लोग आज हमारे बीच नहीं हैं। आज जब उनकी चर्चा नहीं होती, तो मन में टीस उठती है—क्या उनके योगदान को यूं ही भुला दिया जाएगा?
यही सवाल मेरे भीतर एक आग बना हुआ है। मेरे मन में लगातार एक विचार आ रहा है कि समाज के इन गुमनाम नायकों को सामने लाने के लिए एक पत्रिका प्रकाशित की जाए, जिसमें उनके योगदान, जीवन, संघर्ष और विचार प्रकाशित हों। आज जब आदरणीय श्रीकृष्ण लोधी जी, श्री राम वर्मा जी, एडवोकेट नीमानंदन लोधी जी हमारे बीच नहीं हैं, तब वही अधूरा सपना एक कर्तव्य बन गया है। यह अधूरा लेख एक पुस्तक का रूप ग्रहण करे, उसी कर्तव्य का पहला प्रयास है।
मैं यह लेख पढ़ने वाले लखनऊ के समस्त सामाजिक साथियों से विनम्र निवेदन के साथ कहना चाहता हूं कि आप अपने आस-पास नजर डालिए कि समाज के किन साथियों ने सामाजिक योगदान में अपना तन- मन- धन समर्पित किया। चाहें वह जीवित हो अथवा हमारी स्मृतियों में शेष हो। उनका नाम पता इसी लेख के नीचे लिखने का कष्ट करें, जिससे सारे गुमनाम साथियों को इस लेख में स्थान मिल सके। आपका यह प्रयास कर्तव्य बने ऐसी आप से अपेक्षा करता हूं।
यह जानकारी आने वाले समय में एक संग्रह के रूप में प्रकाशित की जाएगी, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ जान सकें कि उनके वर्तमान की नींव किनके बलिदानों पर रखी गई है।
यह अध्याय केवल अतीत की चर्चा नहीं है।
यह एक विचार यात्रा है, एक स्मृति संकल्प, जो बताता है कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए कुछ तो ज़रूरी है –
वह है अपने इतिहास को जानना और उसे सहेजना।
मैं इस पुस्तक को आदरणीय श्रीकृष्ण लोधी जी को और उनके सभी सम्मानित साथियों को समर्पित करूंगा,
मैं अपने सामाजिक बंधुओं के साथ मिलकर '*लोधी समाज स्मृति ग्रंथ' को आकार देने की दिशा में कार्य कर रहा हूं।
जिसका सपना कई वर्षों से मेरे मन में पल रहा है।
--ब्रजलाल लोधी एडवोकेट
सामाजिक चिंतक
प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय लोधी लोधा राजपूत महासभा उत्तर प्रदेश निवासी लखनऊ
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