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मंडल बनाम कमंडल की राजनीति में कल्याण सिंह की भूमिका

Sep 29, 2025  Brij Lal Lodhi  37 views
मंडल बनाम कमंडल की राजनीति में कल्याण सिंह की भूमिका

आरक्षण के पुरोधा वी.पी. सिंह : मंडल बनाम कमंडल और सामाजिक न्याय का संघर्ष

 

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1.मंडल आयोग और वी.पी. सिंह का साहस :- ‌‌1979 में जनता पार्टी सरकार ने पिछड़ों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का आकलन करने के लिए मंडल आयोग बनाया। आयोग ने 1980 में रिपोर्ट दी, जिसमें साफ़ कहा गया कि देश की 52% आबादी ओबीसी है, इसलिए इन्हें शिक्षा और नौकरियों में 27% आरक्षण मिलना चाहिए। लेकिन यह रिपोर्ट 10 साल तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही। 1989 में प्रधानमंत्री बने वी.पी. सिंह ने 1990 में इस रिपोर्ट को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह कदम सामाजिक न्याय की राजनीति का मील का पत्थर था।

2.विरोध और बीजेपी की भूमिका- जैसे ही मंडल लागू हुआ, उच्च वर्गों में ज़बरदस्त विरोध हुआ। आंदोलन, हिंसा और आत्मदाह तक की घटनाएँ सामने आईं। लेकिन वी.पी. सिंह डटे रहे। उन्होंने कहा “सत्ता जाए तो जाए, पर सामाजिक न्याय से समझौता नहीं होगा।”

इसी बीच बीजेपी ने अपने राम मंदिर आंदोलन (कमंडल) को धार दी। लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा मंडल के असर को कमजोर करने के लिए चलाई गई। जब आडवाणी गिरफ्तार हुए, तो बीजेपी ने इसे बहाना बनाकर वी.पी. सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई। 👉 यानी आरक्षण लागू करने का सीधा परिणाम यह हुआ कि वी.पी. सिंह को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी।

3.मंडल बनाम कमंडल : उत्तर प्रदेश का परिदृश्य :- मुलायम सिंह यादव ने मंडल का समर्थन किया और ओबीसी समाज को संगठित किया। उन्होंने न सिर्फ़ आरक्षण लागू करवाया बल्कि उसे राजनीति में मजबूती से खड़ा किया। इसके उलट, कल्याण सिंह ने कमंडल यानी राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री बनने के बावजूद उन्होंने सामाजिक न्याय या ओबीसी आरक्षण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की।

नतीजा यह हुआ कि बैकवर्ड वर्ग मंडल की राजनीति से दूर होता चला गया और अपने हक़ से वंचित रह गया।

सच तो यह है कि बीजेपी और कल्याण सिंह दोनों ही पिछड़ों के हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए जिम्मेदार रहे।

4.अर्जुन सिंह और शिक्षा में आरक्षण :- अगर वी.पी. सिंह को नौकरियों में आरक्षण का श्रेय जाता है, तो शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ों और वंचितों को अवसर देने का बड़ा श्रेय अर्जुन सिंह (तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री) को जाता है।

2006 में उन्होंने संसद में 93वां संविधान संशोधन विधेयक लाया। इसके तहत केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी वर्ग के लिए 27% आरक्षण का प्रावधान किया गया।

इस कदम से लाखों पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के द्वार खुले। 

👉 इस तरह वी.पी. सिंह ने रोजगार के अवसरों में आरक्षण दिया और अर्जुन सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ों को समान अवसर दिलाए। 5.निष्कर्ष :- वी.पी. सिंह : सामाजिक न्याय के पुरोधा, जिन्होंने मंडल लागू कर पिछड़ों को संवैधानिक अधिकार दिलाया। बीजेपी : मंडल के खिलाफ खड़ी होकर कमंडल की राजनीति को हवा दी और वी.पी. सिंह की सरकार गिरा दी।

मुलायम सिंह यादव : मंडल के असली राजनीतिक वारिस बने और पिछड़ों को संगठित किया।

कल्याण सिंह : निजी सत्ता और कमंडल की राजनीति के लिए बैकवर्ड समाज को नुकसान पहुंचाया।

अर्जुन सिंह : शिक्षा में आरक्षण लागू करके पिछड़ों और वंचितों को समानता की राह पर आगे बढ़ाया।

👉 इतिहास साफ़ कहता है कि सामाजिक न्याय का आधार मंडल है, और मंडल के पुरोधा वी.पी. सिंह व अर्जुन सिंह हैं। उन्होंने साबित किया कि सत्ता की कुर्सी से बड़ा है समानता और न्याय का सपना।

ब्रजलाल लोधी एडवोकेट सामाजिक चिंतक


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