🟥 चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई पर हमला संविधान पर हमला है:-
आज देश की सर्वोच्च न्यायपालिका के इतिहास में एक शर्मनाक घटना घटी।
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश माननीय बी.आर. गवई पर एक वकील ने जूता फेंककर हमला किया। यह घटना केवल न्यायालय की गरिमा पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान और उसकी आत्मा पर हमला है।
हमलावर ने नारा लगाया — “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।”
पर यह समझना आवश्यक है कि गवई जी पर हमला करना ही असली सनातन का अपमान है।
सनातन धर्म की मूल भावना सहिष्णुता, समरसता और समानता पर आधारित है।
यह धर्म कहता है कि भारत का ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र — सभी सनातनी हिन्दू हैं।
यदि यह सत्य है, तो बी.आर. गवई — जो एक दलित समाज से आते हुए देश के सर्वोच्च न्यायाधीश पद पर विराजमान हैं — उन पर हमला करना, सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों के ही विरुद्ध है।
👉 इसलिए जो व्यक्ति यह कहे कि “दलित हिन्दू नहीं हैं” या “उनका न्याय करने का अधिकार नहीं है”,
वह न तो सनातन को समझता है, और न ही भारत के संविधान को।
इस घटना पर प्रत्येक सनातनी, प्रत्येक राष्ट्रवादी और प्रत्येक न्यायप्रिय व्यक्ति को एक स्वर में निंदा करनी चाहिए।
यदि ऐसा नहीं होता, तो यह स्पष्ट है कि समाज के एक वर्ग की कथनी और करनी में गहरा अंतर है।
अति कट्टरवाद राष्ट्र को नहीं, केवल राष्ट्रवाद को कमज़ोर करता है।
संविधान पर जितना प्रहार होगा,
उतना ही संविधान और उसके रक्षक और अधिक मज़बूती से खड़े होंगे।
भारत की ताकत उसकी विविधता में है,
और उसकी आत्मा — संविधान और सनातन दोनों में निहित समानता की भावना में।
जय संविधान, जय न्याय, ,जय हिन्द
✍️ – ब्रजलाल लोधी, सामाजिक चिंतक एवं अधिवक्ता, लखनऊ
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