लाल बहादुर शास्त्री : सादगी, ईमानदारी और प्रेरणा के प्रतीक :-
जीवन परिचय:-
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के मुगलसराय (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी देवी था।
जब शास्त्री जी केवल डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। बचपन अत्यंत गरीबी और संघर्षों में बीता, लेकिन उन्होंने कठिनाइयों के आगे हार नहीं मानी। प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में पूरी करने के बाद उन्होंने काशी विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की, उन्हें "शास्त्री" की उपाधि मिली, जो आगे चलकर उनके नाम का स्थायी हिस्सा बन गई।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका :-
शास्त्री जी महात्मा गांधी के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। वे कई बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका संघर्षशील और निस्वार्थ रही।
आज़ादी के बाद का सार्वजनिक जीवन:-
आजादी के बाद वे देश की राजनीति में सक्रिय हुए।
रेल मंत्री (1951–56) : रेल दुर्घटना में यात्रियों की मौत होने पर उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। यह घटना भारतीय राजनीति में ईमानदारी का अद्वितीय उदाहरण है।
गृहमंत्री : उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा और पुलिस सुधारों पर काम किया।
प्रधानमंत्री (1964–66) : जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वे सर्वसम्मति से भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
प्रमुख कार्य और योगदान:-
1. सादगी और नैतिकता
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री जी ने कभी विलासिता नहीं अपनाई। उनका जीवन पूरी तरह सादगी से भरा रहा।
2. जय जवान, जय किसान
1965 के युद्ध और अन्न संकट की घड़ी में शास्त्री जी ने यह नारा दिया। इससे सैनिकों और किसानों दोनों को सम्मान और प्रोत्साहन मिला।
3. अन्न संकट का समाधान
उन्होंने देशवासियों से “सप्ताह में एक दिन उपवास” रखने की अपील की। जनता ने स्वेच्छा से इसे स्वीकार किया और अन्न की बचत हुई।
4. 1965 का भारत–पाक युद्ध
पाकिस्तान के हमले के समय शास्त्री जी ने कठोर निर्णय लिए। भारतीय सेना ने पराक्रम दिखाया और देश का मनोबल ऊँचा हुआ।
5. हरित क्रांति की नींव
किसानों को आधुनिक तकनीक और नए प्रयोगों की ओर बढ़ाया, जिससे आगे चलकर हरित क्रांति संभव हुई।
6. ताशकंद समझौता (1966)
युद्ध के बाद शांति स्थापना के लिए उन्होंने ताशकंद में समझौता किया। वहीं 11 जनवरी 1966 को उनका रहस्यमयी निधन हो गया।
प्रेरणादायक विचार और विरासत:-
“जय जवान, जय किसान” : यह नारा आज भी भारत की आत्मा है।
सादगी और ईमानदारी : उन्होंने दिखाया कि बिना दिखावे के भी सर्वोच्च पद संभाला जा सकता है।
कर्तव्य परायणता : पद के प्रति जिम्मेदारी का भाव उनके हर कार्य में झलकता था।
शांति और विकास का मार्ग : उन्होंने युद्ध के बीच भी शांति का मार्ग चुना।
🌹 लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन इस बात का संदेश देता है कि संघर्षों से निकला हुआ व्यक्ति भी सत्य, सादगी और परिश्रम से देश का महान नेता बन सकता है। उनकी स्मृति हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
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