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अधूरी हवेली का रहस्य (भाग – 5) : नई शुरुआत

Oct 03, 2025  Brij Lal Lodhi  15 views

अधूरी हवेली का रहस्य (भाग – 5) : नई शुरुआत

हवेली का श्राप टूट चुका था। अब वहाँ डर नहीं बल्कि शांति थी।
गाँव के लोग राजगढ़ हवेली को देखने आने लगे। जहाँ कभी सरोद की अधूरी धुन गूँजती थी, वहाँ अब बच्चों की हँसी सुनाई देने लगी।

लेकिन अवनि के दिल में अब भी एक सवाल बाकी था—
"क्या आरव सचमुच पूरी तरह मुक्त हो गया?
या उसकी आत्मा कहीं और उसका इंतज़ार कर रही है?"

एक दिन अवनि ने हवेली के तहख़ाने में कदम रखा।
जहाँ आरव को कैद किया गया था, वहाँ उसे एक पुरानी डायरी मिली।
उस डायरी में लिखा था—

"अन्विता, अगर मैं चला भी जाऊँ तो वादा करो, अपने सपनों को अधूरा मत छोड़ना।
मेरी पेंटिंग्स और संगीत को दुनिया तक पहुँचाना।
यही होगा मेरी आत्मा की सच्ची मुक्ति।"

अवनि ने डायरी बंद की और दृढ़ निश्चय किया।
"अब मेरी ज़िंदगी सिर्फ़ मेरी नहीं, बल्कि आरव की अधूरी कला को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भी है।"

उस दिन से अवनि ने हवेली में एक कला विद्यालय शुरू किया।
जहाँ बच्चे संगीत और चित्रकला सीखने लगे।
राजगढ़ हवेली अब डर का प्रतीक नहीं, बल्कि कला और प्रेम की धरोहर बन गई।

कहानी से सीख - 
सच्चा प्यार सिर्फ़ साथ जीने में नहीं, बल्कि एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने में हैं।

 


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