कहानी : अधूरी हवेली का रहस्य
लखनऊ के बाहरी इलाके में एक प्राचीन हवेली थी – “ जिसका नाम भूतिया हवेली था”। चारों ओर ऊँची दीवारें, टूटे हुए दरवाजे और जंग लगे झरोखे। लोग कहते थे कि वहाँ रात के समय कोई जाता नहीं, क्योंकि हवेली से साज़ बजने की आवाज़ें आती हैं।
पर सच्चाई कोई नहीं जानता था।
एक दिन, अवनि, एक 20 साल की युवती, अपनी दादी के साथ गाँव आई। दादी ने कई बार हवेली के किस्से सुनाए थे। पर अवनि को उनमें सिर्फ़ एक सवाल सताता था –
👉 "अगर हवेली वीरान है, तो वां हर रात दीपक कैसे जलता है?"
दादी ने डरते हुए कहा –
"बिटिया, वां मत जाना… वो हवेली अधूरी है, उसमें रहने वाले सब लोग अचानक ग़ायब हो गए थे।"
लेकिन जिज्ञासा से भरी अवनि ने तय कर लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगी।
रात के बारह बजे…चांदनी रात थी। अवनि हवेली के टूटे दरवाज़े से अंदर घुसी। चारों ओर अंधेरा था, बस दूर से सरोद की मधुर धुन सुनाई दे रही थी।
अवनि ने एक लालटेन जलाई और धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ने लगी। तभी अचानक…
उसकी नज़र एक पुराने कमरे पर पड़ी। दरवाज़ा आधा खुला था। अंदर से हल्की रोशनी झांक रही थी।
उसने दरवाज़ा खोला… और अंदर जो देखा, उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं।
कमरे में दीवार पर एक पुरानी पेंटिंग टंगी थी – जिसमें बिल्कुल उसी की शक्ल की एक लड़की बनी हुई थी!
अवनि घबरा गई…
"ये कैसे हो सकता है? ये पेंटिंग तो सौ साल पुरानी लग रही है… और इसमें चेहरा मेरा ही है?"
इतने में कमरे में क़दमों की आहट गूंजी… कोई उसके पीछे खड़ा था…
अब आगे क्या होगा?
क्या हवेली का रहस्य अवनि से जुड़ा है?
क्या ये कोई जन्म-जन्मांतर की कहानी है?
या फिर कोई ऐसा सच, जिसे जानकर उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी?
क्या आप चाहेंगे कि मैं इस कहानी के अगले भाग में और आगे बढ़ाऊ ?
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